दिशोम गुरु शिबू सोरेन के संस्कार भोज ने झारखंड की सामाजिक और राजनीतिक जमीन पर एक अभूतपूर्व दृश्य रच दिया है। सुबह से ही नेमरा गांव की गलियां, खेतों की मेड़ें और पगडंडियां जनसैलाब से भर गईं। राज्य के कोने-कोने से लोग गुरुजी को श्रद्धांजलि देने और भोज में शामिल होने पहुंचे। परंपराओं और आस्था से जुड़े इस आयोजन में साधारण ग्रामीण से लेकर बड़े नेता और राष्ट्रीय हस्तियां तक मौजूद रहीं।
दिन के साढ़े तीन बजे तक ही अनुमानित आंकड़ा डेढ़ लाख से ऊपर पहुंच गया था। लोगों की आमद इतनी निरंतर है कि व्यवस्था संभालना प्रशासन और स्थानीय स्वयंसेवकों के लिए बड़ी चुनौती बन गई। बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग, दिव्यांग – हर वर्ग और हर उम्र के लोग इस सामूहिक श्रद्धांजलि का हिस्सा बन रहे हैं। यह दृश्य इस बात का प्रमाण है कि गुरुजी का जीवन और संघर्ष कितनी गहराई से झारखंड की आत्मा से जुड़ा हुआ था।
नेताओं और गणमान्य व्यक्तियों की लंबी श्रृंखला भी भोज स्थल पर देखी गई। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ, योग गुरु बाबा रामदेव, राज्यपाल संतोष गंगवार समेत कई बड़े चेहरे शामिल हुए। उनके साथ-साथ झारखंड के विभिन्न जिलों से आए जनप्रतिनिधि, अधिकारी और राजनीतिक कार्यकर्ता भी मौजूद रहे।
गांव का माहौल एक विशाल मेले जैसा हो गया है। जहां एक तरफ श्रद्धा और संवेदना की गहनता है, वहीं दूसरी तरफ संगठित व्यवस्था और जनसहभागिता का अद्भुत उदाहरण भी दिख रहा है। भोज की गति और भीड़ को देखकर अनुमान लगाया जा रहा है कि यह आयोजन देर रात तक चलेगा और संभव है कि दो से ढाई बजे तक भी लोग गुरुजी की स्मृति में भोज ग्रहण करते नजर आएं।
गुरुजी का संस्कार भोज न केवल परंपरागत रीति-रिवाजों का निर्वाह है, बल्कि यह झारखंड की सामूहिक चेतना का प्रदर्शन भी है, जहां एक ही मंच पर समाज के हर तबके की उपस्थिति दर्ज हो रही है।