रांची| झारखंड के अनुसूचित जाति, जनजाति एवं कल्याण मंत्री श्री चमरा लिंडा ने शनिवार को मांडर प्रखंड में आने वाले ऐतिहासिक मुड़मा जतरा के भव्य आयोजन की तैयारियों को लेकर बैठक की। इस बैठक में सभी पड़हा राजाओं और स्थानीय समुदाय के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
मंत्री ने कहा कि मुड़मा जतरा आदिवासी समाज की सांस्कृतिक और धार्मिक चेतना का प्रमुख केंद्र है। यह जतरा सभी पड़हा जत्राओं का समन्वय है, जो अब एक तीर्थ स्थल के रूप में विकसित हो रहा है। उन्होंने इस परंपरा, स्वरूप और महत्व को पीढ़ी-दर-पीढ़ी पहुंचाने का आह्वान किया।
उन्होंने यह भी कहा कि यह आयोजन सामाजिक और धार्मिक समन्वय का प्रतीक है, जहां आदिवासी समाज अपने धर्म, संस्कृति, और सामाजिक दिशा पर विचार करता है। मंत्री ने समाज के सभी वर्गों से सहयोग की अपील की और अधिकारियों को सुरक्षा, स्वच्छता और यातायात व्यवस्था का विशेष ध्यान रखने के निर्देश दिए।
मंत्री ने यह भी आश्वासन दिया कि राज्य सरकार सरना स्थलों तथा जतरा स्थलों को सुरक्षित व धार्मिक स्वरूप में संरक्षित करने के व्यापक प्रयास कर रही है, ताकि आने वाली पीढ़ी इस विरासत से प्रेरित हो सके।
मंत्री ने कहा कि मुड़मा जतरा झारखंड की सांस्कृतिक अस्मिता का उत्सव है, जिसको भव्यता और समर्पण के साथ मनाना चाहिए। ऐसे आयोजनों से हमारी धरोहर मजबूत होती है और सामाजिक एकता बढ़ती है।
यह जतरा 8 और 9 अक्टूबर को होने जा रहा है, जिसमें स्थानीय समुदाय, श्रद्धालु और पर्यटक हिस्सा लेंगे। सरकार की ओर से सभी आवश्यक व्यवस्थाओं का ध्यान रखा जाएगा ताकि यह आयोजन सफल और सुरक्षित रूप से संपन्न हो।