पटना: बिहार में फ्लोर टेस्ट के दौरान जदयू विधायकों के खरीद फरोख्त की बातें सामने आई थी इस मामले में जदयू विधायक सुधांशु शेखर ने कोतवाली थाना में मामला दर्ज कराया था। ईओयू ने अब इस केस को अपने जिम्मे ले लिया है। जांच एजेंसी ने अपने एक डीएसपी को इस केस का आईओ बनाया है। पटना के एसएसपी राजीव मिश्रा ने इस मामले में कई पहलूओं पर जांच को लेकर विशेषज्ञ एजेंसी से जांच कराने को लेकर पुलिस मुख्यालय को पत्र लिखा था। इसके बाद ही इस मामले की जांच को लेकर आर्थिक अपराध इकाई को लगाया गया है।
विधायकों की खरीद-फरोख्त का लगा आरोप
दरअसल, बिहार विधानसभा में 12 फरवरी को हुए फ्लोर टेस्ट में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विश्वास मत तो जीत लिया था, लेकिन उस दिन जदयू के दो विधायक बीमा भारती और डॉ. संजीव कुमार देर से सदन पहुंचे थे। जबकि जदयू विधायक दिलीप राय अनुपस्थित रहे। इसके बाद विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप भी लगा था। जदयू विधायक सुधांशु शेखर ने पटना के कोतवाली थाने में 10 करोड़ रुपए और मंत्री पद का ऑफर दिए जाने का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया था। बताया जाता है कि विधायक के खरीद-फरोख्त मामले में कई नेता व ठेकेदारी भी सामिल है। जो विपक्षी दल के करीबी बताए जाते है।
पूर्व मंत्री ने वाट्सएप कॉल किया
सुधांशु शेखर ने यह भी आरोप लगाया कि पूर्व मंत्री नागमणि कुशवाहा ने नंबर से वाट्सएप कॉल आया और अखिलेश नाम के व्यक्ति ने बात की और कहा कि वे राहुल गांधी के करीबी हैं। साथ ही महागठबंधन के पक्ष में आने को कहा। आवेदन में राजद प्रवक्ता शक्ति यादव पर भी आरोप है कि विधायक कृष्ण मुरारी से शक्ति यादव का व्यक्ति मिलने आया और विश्वास मत में राजद के पक्ष में वोट करने के एवज में पांच करोड़ रुपये तत्काल देने का ऑफर किया गया था और 5 करोड़ काम होने के बाद या मंत्री पद देने की बात कही गई थी।