पटना: जन सुराज पदयात्रा के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने बिहार के राजनीतिक परिदृश्य पर अपनी बात रखते हुए कहा कि जिस भाजपा को आपलोग इतना ताकतवर समझते हैं या देश आज मान रहा है। चाहे वो मोदी जी हों या अमित शाह हों। भाजपा को अगर आप गहराई से देखना समझना जानना चाहेंगे तो आपको पता चलेगा कि जहां पर इनके खिलाफ लोग इनके खिलाफ मजबूती से चुनाव लड़े और इनको हरा दिया वहां पर इन भाजपा वालों को कभी हिम्मत नहीं हुई चुनाव लड़ने की।
पूरी ताकत लगा देने के बावजूद नहीं मिली सफलता
बिहार वो भूमि है, जहां आपने देखा होगा 2015 में अमित शाह और मोदी जी ने पूरी ताकत लगा दी थी इसके बावजूद चुनाव जीतने में उनको सफलता नहीं मिली थी। 2015 का जो डर है वो इतना बड़ा डर है चुनाव हारने का वो उनसे निकल नहीं पाए हैं। राजनीतिक दलों को जब आसान जीत मिलती है और कहीं पर जब आप हार जाते हैं तो आप डरते बहुत ज्यादा है। भाजपा के लीडरशिप को आज भी डर है बिहार की राजनीतिक पृष्ठभूमि से यहां की सामाजिक तानाबाना से।
बिहार मोदी के स्लोगन मात्र से चुनाव नहीं जीता सकता
बिहार में समाजवाद की जड़ें इतनी मजबूत और गहरी हैं कि भाजपा के लिए आसान नहीं है कि मोदी के एक स्लोगन पर पूरे बिहार को जीत लिया जाए ऐसा भाजपा वालों को लगता है। 4 सौ सीट जितने का दावा करने वाले अमित शाह नीतीश कुमार जैसे आदमी जो इतना साधारण हैं और जहां सबको पता है कि उनका बिहार में कोई राजनीतिक वजूद नहीं है इसके बावजूद वो NDA में आ रहे हैं तो उनको स्वीकारने में उनको कोई दिक्कत नहीं है। बिहार की राजनीतिक भूमि को भाजपा इतना आसान मानती नहीं है। बिहार में चाहे चिराग पासवान हो, उपेन्द्र कुशवाहा हों मांझी हों इन्हें साथ इसलिए रखना चाहते हैं ताकि इनको 40 सीट जितने में कोई खतरा न पैदा हो जाए।