झारखंड: इसको लेकर मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी है। विभागीय सचिव वंदना दादेल के हस्ताक्षर से जारी नोटिफिकेशन के अनुसार सीएम के पास पूर्व से आवंटित विभागों के अतिरिक्त खुद सीएम की सलाह से उसमें आंशिक संशोधन करते हुए संसदीय कार्य विभाग, ग्रामीण विकास विभाग, ग्रामीण राज्य कार्य विभाग और पंचायती राज विभाग आवंटित किया गया है। पूर्व से आवंटित सभी विभाग सीएम के पास यथावत रहेंगे।
ऐसा करने की क्यों पड़ी जरूरत
दरअसल, जब से कैश कांड मामले में मंत्री आलमगीर आलम को गिरफ्तार किया गया है, तब से विभाग के काम लगभग ठप पड़े हैं। वहीं देश में चल रहे चुनाव की वजह से लागू आचार संहिता के कारण इस पर कोई निर्णय नहीं हो पा रहा था। अब आदर्श चुनाव आचार संहिता हट गया है। सीएम ग्रामीण विकास विभाग में तेजी से काम करना चाहते हैं इसलिए विभागों को अपने पास रख लिया हैं।
इस्तीफे की भी हो रही तैयारी
गिरफ्तार किए जाने से जेल जाने तक के दौरान आलमगीर आलम ने इस्तीफा नहीं दिया है। इसे लेकर चर्चा भी चल रही थी। वहीं अब सूत्रों का कहना है कि अब आलमगीर आलम इस्तीफा दे सकते हैं। बताया जा रहा है कि आचार संहिता की वजह से किसी को मंत्री नहीं बनाया जा सकता था, इसलिए वो मंत्री बने रहे। लेकिन अब वे इस्तीफा दे सकते हैं। चर्चा इस बात की भी है कि कांग्रेस मंत्री का अपना कोटा नहीं छोड़ना चाहता है, ऐसे में कांग्रेस कोटे से ही कोई मंत्री बनाया जा सकता है।
पीएस के पास मिले थे कैश
बता दें कि ED ने 6 मई को मंत्री आलमगीर आलम के पीएस संजीव लाल और उससे जुड़े लोगों के ठिकानों पर रेड मारी थी। इसमें 32 करोड़ 20 लाख रुपये कैश की बरामदगी हुई थी। पूछताछ के दौरान इस मामले में मंत्री को पीएस संजीव कुमार लाल और उनके नौकर जहांगीर आलम को 6 मई की देर रात ही गिरफ्तार कर लिया गया था। इन दोनों से 14 दिनों तक रिमांड पर पूछताछ की गई है और दोनों को पिछले मंगलवार को कोर्ट में पेश करने के बाद न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है।
15 मई को गिरफ्तार हुए थे मंत्री
इस मामले में 15 मई की शाम मंत्री आलमगीर आलम को ED ने गिरफ्तार किया था। इसके पहले उनसे 14 और 15 मई को कुल मिलाकर करीब 14 घंटे पूछताछ की गई थी। ED ने कोर्ट को बताया कि ग्रामीण विकास विभाग में टेंडर कमीशन घोटाले में इंजीनियर, अधिकारी व मंत्री का एक संगठित गिरोह सक्रिय था। ED ने नमूने के तौर पर जनवरी महीने में पारित 92 करोड़ के 25 टेंडर के ब्यौरे से संबंधित एक पेपर भी कोर्ट में जमा किया है, जिसमें यह स्पष्ट लिखा हुआ है कि मंत्री आलमगीर आलम ने सभी 25 टेंडर में कमीशन के रूप में 1.23 करोड़ रुपए लिए थे।