बिहार शिक्षा विभाग के नए अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ भी केके पाठक की तरह रवैया अपना रहे हैं। अब उन्होंने शिक्षकों के लिए नया दिशा-निर्देश जारी कर दिया है। दरअसल, ट्रेनिंग के बाद स्कूल का परफॉर्मेंस कमजोर होने पर शिक्षा विभाग की तरफ से एक ठोस कदम उठाया जाएगा। इसको लेकर आधिकारिक निर्देश भी जारी किया गया है।
अगर विद्यालय का प्रदर्शन कमजोर हुआ तो वहां के शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए शिक्षा विभाग द्वारा एक कार्ययोजना तैयार कराई जा रही है। सरकारी विद्यालयों के निरीक्षण में प्राप्त रिपोर्ट को कार्ययोजना का आधार बनाया जाएगा। इसका बड़ा फोकस सभी विद्यालयों में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मुहैया कराने पर है। इसमें छात्रों से लेकर शिक्षकों तक के प्रदर्शन को आंकने के लिए नए-नए मानकों पर काम होगा। इसमें ऐसे सभी शिक्षकों को फिर से प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिनके स्कूलों का प्रदर्शन लर्निंग आउटकम में कमजोर रहेगा। शिक्षकों को यह प्रशिक्षण जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों के जरिये दिया जाएगा।
शिक्षा विभाग द्वारा चालू वित्तीय वर्ष में शिक्षकों को बेहतर प्रशिक्षण देने के लिए भी नई कार्ययोजना संबंधी प्रस्ताव तैयार किया है। इसके लिए जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों में आधारभूत संरचना निर्माण पर फोकस किया जा रहा है। कार्यक्रम के तहत 105 करोड़ 45 लाख रुपए की राशि अगस्त से मिलने की उम्मीद है। शिक्षा विभाग के एक बजट अधिकारी ने बताया कि शिक्षकों को प्रशिक्षण नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत अपनाए जाने वाले सभी नवाचारों व मानकों के आधार पर दिया जाएगा।
इतना ही नहीं, प्रत्येक जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डायट) में विद्या समीक्षा केंद्र के नाम से एक मानीटरिंग सेंटर भी स्थापित होगा। एनसीईआरटी ने इसका माडल भी विकसित कर लिया है। खास बात यह है कि डायट को वाइब्रेंट एक्सीलेंस संस्थान के रूप में तैयार करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार का है। इसके लिए शत-प्रतिशत राशि केंद्र से मिलेगी।