06 जून 2025 | पटना | [ प्रशांत कुमार ‘प्रणय’ ]
मीडिया जगत और राजनीति के गलियारों में अब यह चर्चा तेज हो गई है कि जो हाल 2024 के लोकसभा चुनाव में पशुपति पारस के साथ हुआ था, वही हाल अब उपेंद्र कुशवाहा के साथ 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में होने वाला है। तो सबसे पहले समझते हैं कि लोकसभा चुनाव में पशुपति पारस के साथ क्या हुआ था, फिर देखेंगे कि कुशवाहा के साथ ऐसा कैसे होता दिख रहा है।
2024 का लोकसभा चुनाव था, सभी पार्टियां और गठबंधन अपनी चुनावी तैयारियों में लगे हुए थे। पशुपति पारस भी अपनी तैयारी में जुटे थे, लेकिन हाजीपुर लोकसभा सीट को लेकर चाचा-भतीजे यानी पशुपति पारस और चिराग पासवान के बीच खींचतान शुरू हो गई। दोनों के बीच सुलह कराने की कोशिश बीजेपी के कई वरिष्ठ नेताओं ने की, खुद प्रधानमंत्री मोदी ने भी दोनों को एक साथ लाने की कोशिश की। लेकिन अंत में 2024 के लोकसभा चुनाव में पारस को एनडीए के खेमे से बिहार में एक भी सीट नहीं मिली। इसके बाद चिराग पासवान ने बिहार की पांच लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा और सभी पर जीत दर्ज की। पशुपति पारस खुद को उपेक्षित महसूस करने लगे और एनडीए से उनकी नाराजगी जगह-जगह दिखने लगी। वे एनडीए से दूर जाने की बात करने लगे।
अब जब बिहार विधानसभा चुनाव होना है, तो वैसी ही स्थिति उपेंद्र कुशवाहा के साथ बनती नजर आ रही है। हालांकि पारस जैसी चाचा-भतीजे की लड़ाई उपेंद्र कुशवाहा की नहीं है, लेकिन गठबंधन के अंदर उनकी पूछ लगातार घटती जा रही है। एनडीए के कार्यक्रमों से उपेंद्र कुशवाहा दूर होते जा रहे हैं। हाल की घटनाओं की बात करें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार में एक जनसभा को संबोधित करने पहुंचे, जो उपेंद्र कुशवाहा के लोकसभा क्षेत्र में थी, लेकिन अपने भाषण में मोदी ने कुशवाहा का नाम तक नहीं लिया। इसी तरह, बिहार सरकार द्वारा गठित कई आयोगों (जैसे एससी, महादलित, मछुआरा, आदि) में कुशवाहा की पार्टी के किसी भी नेता को जगह नहीं मिली, जबकि चिराग पासवान के बहनोई और जीतन राम मांझी के दामाद को जगह मिली है।
अब सवाल उठता है कि आगामी विधानसभा चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा को एनडीए नजरअंदाज कर सकती है। कुशवाहा की नाराजगी भी बीते दिनों सामने आई थी, जिसमें उन्होंने कहा था, “अगर हम डूबेंगे तो एनडीए की नाव भी डूब जाएगी।” एनडीए में कलह की खबरें भी सामने आने लगी हैं। कुशवाहा की नाराजगी, बीजेपी और जेडीयू का ध्यान न देना, और कुशवाहा के बिंदास बयान, बिहार की राजनीति में माहौल बना रहे हैं।
अब देखने वाली बात है कि उपेंद्र कुशवाहा को आयोग में जगह नहीं मिली, तो क्या उन्हें ज्यादा सीटें मिलेंगी? खबरें हैं कि जितनी सीटें कुशवाहा चाहते हैं, उतनी उन्हें गठबंधन में नहीं मिल रही हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी कुशवाहा की पार्टी को काराकाट सीट मिली थी, लेकिन वहां भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा। उस वक्त भी कुशवाहा ने बीजेपी पर भीतरघात का आरोप लगाया था। धीरे-धीरे सब कुछ एनडीए में ठीक होता दिखा, लेकिन अब 2025 के विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही फिर से खटपट शुरू हो गई है।