रांची: झारखंड में दूसरे और तीसरे चरण के चुनाव के लिए आज भी नामांकन का दौर जारी है. रांची लोकसभा सीट से एनडीए उम्मीदवार संजय सेठ ने आज अपना नामांकन दाखिल किया. इस मौके पर उनके साथ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, आजसू प्रमुख सुदेश महतो, जदयू के खीरु महतो और बीजेपी विधायक दल के नेता अमर बाउरी मौजूद रहें. संजय सेठ के नामांकन के दौरान कार्यकर्ता हजारों की संख्या में डीसी ऑफिस पहुंचे.
PM के मिशन 400 को सफल बनाने को लेकर खुद से पहुंचे लोग-संजय सेठ
एनडीए प्रत्याशी संजय सेठ ने कहा कि चुनावी रैली में जिस तरह की भीड़ उमड़ी वो अपने आप में खास है. क्योंकि इस गर्म मौसम में भी बड़ी संख्या में लोग प्रधानमंत्री के मिशन 400 को सफल बनाने को लेकर खुद से पहुंचे. वहीं आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने कहा कि इंडिया गठबंधन से कोई लड़ाई ही नहीं है. लोकसभा चुनाव के दो चरणों में कम मतदान प्रतिशत को लेकर उन्होंने कहा कि आज की जनसभा ये साबित करती है कि अब मौसम का असर लोगों पर नहीं पड़ेगा और बड़ी संख्या में मतदान केंद्रों तक पहुंचेंगे.
भाजपा प्रत्याशी संजय सेठ नामांकन से पहले पहुंचे काली मंदिर आशीर्वाद लिया दर्शन कर
नामांकन से पहले भाजपा प्रत्याशी संजय सेठ काली मंदिर पहुंचे और मां काली दर्शन कर आशीर्वाद लिया. नामांकन के पूर्व एक जनसभा होगी, जिसमें छह विधानसभा के लगभग 50 हजार कार्यकर्ता शामिल होंगे. मोरहाबादी मैदान से पूर्वाह्न 11 बजे गाजे-बाजे के साथ रोड शो के माध्यम से उपायुक्त कार्यालय नामांकन लिए प्रस्थान करेंगे. बता दें कि संजय सेठ लगातर दूसरे बार रांची सीट से चुनावी मैदान में उतरे है.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बोले- 25 तारीख तक जोश रहना चाहिए हाई
वहीं, नामांकन कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आपका जोश ऐसे ही 25 तारीख तक बना रहना चहिए. वह कहते हैं कि मुझे नहीं लग रहा है कि यह नामांकन सभा है. ऐसा लग रहा है कि कोई मेला लगा हुआ है. हज़ारों लोग यहां जुटे हुए हैं. आज मैं यहां आप सभी से संजय जी के लिए समर्थन मांगने आया हूं.
मोदी सरकार ने आदिवासी समाज को बढ़ाया मान सम्मान
2 घंटे की उपस्थिति में मैंने यह जान लिया है कि संजय सेठ भारी मतों से जीतकर आपके सांसद बनने वाले हैं. झारखंड की पहचान यहां की आदिवासी अस्मिता से होती है. एक ही समय में झारखंड और उत्तराखंड का गठन हुआ है. दोनों ही राज्यों की समानता भी एक ही है. पहले ये राज्य विकास से वंचित रह जाता था. लेकिन पीएम मोदी की सरकार में आदिवासी समाज का मान सम्मान और बढ़ा है. पीएम मोदी ने ही एक आदिवासी महिला को राष्ट्रपति बनाया है.