बिहार के सीवान में एक और पुल ध्वस्त हो गया है। राज्य में सरकारी पुल के गिरने का सिलसिला जारी है। हाल ही में महाराजगंज प्रखंड के पटेढा गांव में 35 साल पुराना पुल गिरा था। अब बुधवार को महाराजगंज प्रखंड के देवरिया गांव के पास गंडकी नदी छाड़ी पर बना पुल गिर गया है। इस कारण अगल बगल के गांवों का संपर्क टूट गया। सूचना जारी होने तक किसी जानमाल की क्षति नहीं हुई थी।
बताया जा रहा है कि महाराजगंज में एक और पुल ध्वस्त होने के कगार पर है। महाराजगंज प्रखंड के नौतन सिकंदरपुर गांव के समीप गंडकी नदी पर बना पुल गिरने वाला है। इसको लेकर, आवागमन बंद पूरी तरह से ठप हो गया है। यह पुल 1998 में तत्कालीन सांसद प्रभुनाथ के सांसद मद से 6 लाख की लागत से बना है। इसकी आजतक मरम्मती नहीं हुई। बता दें कि बिहार में बीते 12 दिन में छह पुल धड़ाम हो गए हैं।
सबसे पहले 18 जून को अररिया के सिकटी में बकरा नदी पर बन रहा एक निर्माणाधीन पुल गिरा था। यह पुल सिकटी और कुर्साकांटा को जोड़ने के लिए बन रहा है। इस पुल के 3 पिलर नदी में धंस गए। स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि बारिश के कारण बकरा नदी का जलस्तर बढ़ जाने से पुल दबाव झेल नहीं पाया व गिर गया। 2011 में करीब 13 करोड़ की लागत से बकरा नदी पर यह पुल बनना शुरू हुआ था।
22 जून को सीवान में एक पुल ढह गया था। यह पुल करीब 33 साल पुराना था। यह पुल दरौंदा और महाराजगंज ब्लॉक के गांवों को जोड़ने वाली नहर पर बना था। स्थानीय अधिकारियों द्वारा बताया गया कि नहर से पानी छोड़े जाने पर पुल के खंभे ढह गए इसलिये पुल गिर गया। यह 20 फीट लंबा पुल था। विधायक निधि से पुल बना था। स्थानीय लोगों के अनुसार नहर की सफाई के दौरान मिट्टी की कटाई की वजह से पुल कमजोर हो गया था और समय पर मरम्मत कार्य नहीं हुआ।
23 जून को मोतिहारी के घोड़ासहन में निर्माणाधीन पुल गिर गया था। यह पुल करीब 2 करोड़ की लागत से बन रहा है। पुल की लंबाई करीब 80 फीट है। पुल निर्माण का टेंडर धीरेन्द्र कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया था। पुल का निर्माण प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत ग्रामीण कार्य विभाग के जिम्मे है। जानकारी के अनुसार 22 जून को पुल की ढलाई हुई थी और अगले दिन यह गिर गया। आरोप लग रहा है कि सरिया मानक के अनुरूप नहीं लगाया गया, साथ ही घटिया सीमेंट का प्रयोग किया जा रहा था।
26 जून को किशनगंज में मरिया नदी पर बना पुल धंस गया। 2010 में मुख्यमंत्री सेतु योजना के तहत ईंट से यह पुल बना था। हादसे पर स्थानीय अधिकारियों द्वारा तर्क दिया जा रहा है कि बहादुरगंज के गुआबाड़ी के पास ये पुल मूसलाधार बारिश के चलते धंस गया। पानी के तेज बहाव का दबाव पुल सह नहीं पाया और इसके सात पायों में से बीच के दो पाये दो फीट तक जबकि एक पाया एक फीट धंस गया। करीब 25 लाख रुपए की लागत से 70 मीटर लंबा और 12 मीटर चौड़ा यह पुल बनाया गया था।
28 जून को मधुबनी में एक निर्माणाधीन पुल का गर्डर गिर गया। पिछले 4 सालों से पुल बन रहा है। भेजा कोसी बांध चौक से महपतिया मुख्य सड़क पर ललवारही के पास भुतही बलान नदी पर पुल का निर्माण करवाया जा रहा है। 26 जून को गर्डर की ढलाई हुई थी। पुल की लंबाई करीब 75 मीटर है। बताया जा रहा है कि गर्डर के लिए शटरिंग बनाया गया था। भुतही बलान नदी में पानी आने से शटरिंग पानी में बह जाने से गर्डर गिरा है।
किशनगंज में 30 जून को एक और पुल धंस गया। पथरिया के खोसीडांगी गांव के पास बूंद नदी पर बने इस पुल का का 2 स्पेन करीब धंस गया है। तेज बारिश के बाद नदी का जलस्तर बढ़ गया जिससे बूंद नदी पर बना पुल का पिलर करीब एक फुट धंस गया है। पुल 30 मीटर लंबा और 10 मीटर चौड़ा है। साल 2008 में इस पुल का निर्माण हुआ था। 50 लाख की लागत से पुल का निर्माण हुआ था।