झारखंड की राजधानी रांची समेत राज्य के कई जिलों में आज झारखंड बंद का मिला-जुला असर देखा गया। आदिवासी संगठनों के आह्वान पर बुलाए गए इस बंद का मुख्य कारण सिरमटोली रैंप विवाद और राज्य सरकार पर आदिवासी धार्मिक स्थलों की अनदेखी का आरोप रहा। राजधानी रांची में बंद समर्थक सरना झंडा लिए सड़कों पर उतरते दिखाई दिए, वहीं अल्बर्ट एक्का चौक पर बीती शाम मशाल जुलूस के साथ आंदोलन की शुरुआत की गई थी।
CUET परीक्षार्थियों को मिली छूट, पर आंदोलन रहा मुखर
राज्य में आज CUET परीक्षा भी आयोजित की गई थी। कुछ स्थानों पर छात्रों को शुरुआत में रोका गया, लेकिन बाद में एडमिट कार्ड दिखाने पर उन्हें जाने की अनुमति दी गई। आंदोलनकारियों ने यह स्पष्ट किया कि उनका मकसद छात्रों की पढ़ाई में बाधा डालना नहीं है, बल्कि सरकार को अपनी बात सुनाना है।
बंद के प्रभाव: शहरी इलाकों में आंशिक, ग्रामीण क्षेत्रों में पूर्ण
राजधानी रांची के विभिन्न चौक-चौराहों पर टायर जलाकर बंद समर्थक प्रदर्शन करते नजर आए। बाजारों में कुछ दुकानें खुली रहीं, लेकिन ग्रामीण इलाकों में बंद का व्यापक असर देखने को मिला। स्थानीय ग्रामीण बाजारों में अधिकतर दुकानें बंद रहीं, और आवागमन भी सीमित देखा गया।
क्या है सिरमटोली रैंप विवाद?
सिरमटोली क्षेत्र में निर्माणाधीन फ्लाइओवर के नीचे स्थित सरना स्थल (आदिवासी धार्मिक स्थल) को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। आंदोलनकारियों का कहना है कि यह स्थल उनकी आस्था का केंद्र है और राज्य सरकार विकास कार्यों के नाम पर धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुँचा रही है।
गीता श्री उरांव का आरोप: “सरकार आदिवासी हितों की कर रही अनदेखी”
बंद का नेतृत्व कर रहीं आदिवासी नेता गीता श्री उरांव ने मीडिया से बातचीत में कहा:
“राज्य सरकार विकास के नाम पर हमारी धार्मिक पहचान और परंपराओं को मिटाने पर तुली है। हमने कई बार चेताया, लेकिन पेसा कानून को लागू नहीं किया गया। आज आदिवासी बेटियां भी सुरक्षित नहीं हैं। हम मजबूर होकर सड़कों पर उतरने को बाध्य हैं।”
आदिवासी संगठनों की माँग
1. सिरमटोली धार्मिक स्थल की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए
2. पेसा कानून को राज्य में तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए
3. आदिवासी आस्था से जुड़े स्थलों को संरक्षित घोषित किया जाए
4. राज्य में आदिवासी महिलाओं की सुरक्षा के लिए विशेष नीति बने