झारखंड के मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन आज अपने पैतृक गांव नेमरा में सादगीपूर्ण अंदाज में गांव की गलियों और पगडंडियों पर घूमते नजर आए। उन्होंने कहा कि गांव की मिट्टी में खुशबू और हरियाली की ठंडक महसूस होती है, जो इस राज्य की असली पहचान है। मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि गांव का विकास ही राज्य के विकास की असली नींव है।
इस दौरान वे ग्रामीणों और किसानों से मिलकर उनकी समस्याएं और सुझाव सुनते रहे। मुख्यमंत्री ने बताया कि जल, जंगल और ज़मीन हमारे प्राकृतिक संसाधन ही नहीं बल्कि झारखंड की आत्मा हैं, जिनसे प्रदेश की संस्कृति और आजीविका गहराई से जुड़ी है।
हेमन्त सोरेन ने कहा कि वे अपने दिवंगत पिता दिशोम गुरु शिबू सोरेन की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने बताया कि राजनीति का उद्देश्य केवल सत्ता हासिल करना नहीं, बल्कि जनता की सेवा करना और उनके अधिकारों की रक्षा करना है।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार जल संरक्षण, वन संरक्षण और भूमि अधिकारों को सबसे प्राथमिकता दे रही है ताकि झारखंड की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर आने वाली पीढ़ियों तक सुरक्षित रहे।

उन्होंने कहा कि उनका बचपन गांव की हरियाली, ठंडी हवा और नदियों की कल-कल के बीच बीता है, इसलिए वे चाहते हैं कि झारखंड हरियाली और स्वच्छता का प्रतीक बना रहे। विकास तभी सार्थक होगा जब वह पर्यावरण और स्थानीय संस्कृति के साथ संतुलन बनाए।
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने ग्रामीण विकास और बुनियादी सुविधाओं को मजबूत बनाने के लिए अपनी पूरी प्रतिबद्धता जताई।