राज्य में पुलों के ढहने का क्रम थम नहीं रहा। 13 दिन पहले तक छोटे-बड़े 6 पुल गिरे थे। जांच के लिए मंगलवार को ही ग्रामीण कार्य विभाग ने उच्च-स्तरीय टीम गठित की थी। बुधवार को सीवान और छपरा में एक ही दिन में 5 पुल एक के बाद एक ढह गए। इनमें 3 गंडकी नदी पर तो 2 धमही नदी पर बने थे।
नदी जोड़ो योजना के तहत इन नदियों की हाल ही में उड़ाही हुई थी। प्रारंभिक साक्ष्य बताते हैं कि नदी में अधिक गहराई तक मिट्टी कटाई से पुलों के पाए और उनकी गाइड वॉल की बुनियाद एक्सपोज हो गई थी। इसके कारण नदियों में पानी का प्रवाह बढ़ते ही ये हादसे हुए। नदियों में पानी का प्रवाह बढ़ते ही ये हादसे हुए। जो पुल गिरे हैं, उनमें एक को छोड़ बाकी सभी 30-40 साल पुराने थे।
गनीमत है कि कोई जनहानि नहीं हुई। जो पुल गिरे हैं, उनमें एक को छोड़ बाकी सभी 30-40 साल पुराने थे। जिला प्रशासन के अनुसार महाराजगंज में इन नदियों पर निर्मित आठ पुल जर्जर पाए गए हैं। पुलों के गिरने से 50 से अधिक गांवों की आबादी प्रभावित हुई है। छपरा के श्रीढोंढ़नाथ मंदिर के पास जो पुल गिरा, वहां 20 दिन बाद श्रावणी मेला लगना है। सीवान के डीएम मुकुल कुमार गुप्ता ने बताया कि पुलों की मरम्मत चल रही थी। सिंचाई सुविधा के लिए नदी की सफाई कराई गई थी। सफाई के बाद जब पानी आया तो पुल क्षतिग्रस्त हो गए।
मुख्यमंत्री के खास निर्देश पर पुराने पुलों का स्थल निरीक्षण हो रहे हैं। बन रहे पुलों की गुणवत्ता और इसको पूरा करने में समय का पूरा ध्यान रहे मानक संचालन प्रक्रिया बना निरीक्षण हो। शिथिलता बरतने वालों पर कार्रवाई होगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि पुराने पुलों के हालात जाने जाएं। जरूरत के अनुसार मरम्मत व निर्माण का काम हो। पुलों की रेगुलर निगरानी हो। ग्रामीण कार्य विभाग पुलों के लिए तुरंत मेंटेनेंस पॉलिसी बनाए। वे बुधवार को सड़क व पुलों के रखरखाव को ले समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे।