शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के लंबी छुट्टी पर जाने के बाद शिक्षा विभाग, राजभवन और विश्वविद्यालयों के बीच 7 महीने से चला आ रहा गतिरोध खत्म हो गया। बुधवार को राजभवन में हुई कुलपतियों की बैठक में शिक्षा मंत्री सुनील कुमार और अपर मुख्य सचिव डॉ.एस सिद्धार्थ गए। इसके बाद कुलपति भी शिक्षा विभाग की बैठक में आए। बैठक के बाद शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालयों के बैंक खातों पर लगाई गई रोक हटा ली है।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि पाठ्यक्रम में बदलाव के लिए जरूरी संसाधन, कार्यबल और आईटी सपोर्ट उपलब्ध कराया जाएगा। खातों पर लगी रोक हटने से स्थगित वेतन चालू होगी। अभी तक कुलपति, शिक्षा विभाग की ओर से बुलाई गई बैठकों में नहीं आते थे। राजभवन उनको रोक देता था। केके पाठक भी कभी वीसी की बैठक में या कुलाधिपति के बुलावे पर राजभवन नहीं गए।
राजभवन की बैठक में कुलपतियों ने आधारभूत संरचना को मजबूत करने, आंतरिक अंकेक्षण की व्यवस्था, कर्मियों की नियुक्ति, वेतन एवं पेंशन का भुगतान, अतिथि शिक्षकों के मानदेय का भुगतान, आईटी सेल का गठन आदि की खासी चर्चा की। विश्वविद्यालयों को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने के बारे में अपने सुझाव दिए।
बता दें कि शिक्षा विभाग और विश्वविद्यालयों के बीच गतिरोध के चलते फरवरी के बाद से विश्वविद्यालयों को वेतन-पेंशन की राशि जारी नहीं हुई है। इस कारण शिक्षकों और कर्मियों को पेंशन- वेतन नहीं मिल सका है। इसके पहले शिक्षा विभाग ने पिछले तीन माह में छह बार कुलपतियों की बैठक बुलाई थी, लेकिन कोई नहीं पहुंचा था। साथ ही शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालयों के बैंक खातों के संचालन पर रोक लगा दिया था। कुलपतियों का वेतन भी रोक दिया था। उस वक्त विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक थे। पिछले दिनों वे लंबी छुट्टी पर चले गए तो एस सिद्धार्थ को शिक्षा विभाग का एसीएस बनाया गया।
विश्वविद्यालयों को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाएं बैठक में राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को निर्देश दिया है कि विद्यार्थियों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को केंद्र में रखकर अपने-अपने विश्वविद्यालय के लिए रोडमैप तैयार करें। विश्वविद्यालय को सही मायने में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाएं। विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक और शोध के लिए भी अलग-अलग डीन बनाएं।