गया नगर निगम के मेयर वीरेंद्र कुमार उर्फ गणेश पासवान पर जाति को लेकर एक आरोप लगा था। जिसका अपराध अनुसंधान विभाग की टीम ने विशेष जांच कर खुलासा किया है। गणेश पासवान की जाति को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है। समिति ने गणेश पासवान द्वारा अनुसूचित जाति होने के दावे को सर्वसम्मत रूप से खारिज कर दिया है। अब निर्वाचन आयोग और गया के डीए पर सबकी निगाहें टिकी हैं।
सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा इसकी जांच अपराध अनुसंधान विभाग से कराई गई थी। जांच में सामने आए तथ्यों के आधार पर जांच कर रही टीम ने यह निर्णय दिया कि गया के मेयर दुसाध जाति से नहीं आते हैं। इसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने इनकी जाति को खारिज कर दिया। इसकी जानकारी राज्य निर्वाचन आयोग सहित सभी संबंधित पदाधिकारी और पक्षों को दे दी गई। इसके आधार पर अब गया के जिला पदाधिकारी को इस आदेश के आलोक में समुचित कार्रवाई करने के लिए निर्देश दिया गया है।
वहीं, इस मामले में गणेश पासवान ने कहा कि राजनीति से प्रेरित हैं। 18 जून को राज्य निर्वाचन आयोग में सुनवाई है। जाति से संबंधित सारा तथ्य मेरे पक्ष में है। विरोधी लोग ख्याली पुलाव पका रहे हैं। फैसला मेरे पक्ष में आएगा।
दरअसल, बोधगया के पूर्व विधायक श्यामदेव पासवान जो कि इस मामले में पक्षकार हैं। पिछले साल पूर्व विधायक श्यामदेव पासवान ने राज्य निर्वाचन आयोग में एक वाद 39/2023 दायर किया गया था। जिसमें आरोप लगाया गया था कि बिरेन्द्र कुमार उर्फ गणेश पासवान गलत जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नगर निगम मेयर का पद प्राप्त किया है। इस शिकायत पर विचार करते हुए निर्वाचन आयोग ने अपराध अनुसंधान विभाग से मेयर की जाति की जांच करवाई।
विधायक श्यामदेव पासवान ने कहा कि जिस पद पर एक अनुसूचित जाति के किसी व्यक्ति को पदासीन होना चाहिए था लेकिन किसी गैर के हाथ में यह पद है। उन्होंने बताया कि जितनी जल्द इनके निर्वाचन की मान्यता को रद्द कर दिया जाए वह अनुसूचित जाति के लोगों के हक़ में अच्छा रहेगा।
विभिन्न स्तरों पर विस्तृत जांच के बाद अपराध अनुसंधान विभाग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि साल 1980 से पहले बिरेन्द्र कुमार के पूर्वजों की जाति सभी दस्तावेजों में बंगाली दर्ज थी। लेकिन 1980 के बाद असंगत रूप से उनकी जाति दुसाध (पासवान) दर्ज की जाने लगी। विभाग ने कहा कि इस बदलाव के लिए पासवान ने कोई संतोषजनक कारण नहीं बताया। राज्य निर्वाचन आयोग की जांच समिति ने मामले पर गंभीरता से विचार किया। समिति ने दस्तावेजी साक्ष्यों और गणेश पासवान के बचाव को देखने के बाद अपराध अनुसंधान विभाग के निष्कर्षों से सहमति व्यक्त की। आयोग ने फैसला सुनाते हुए कहा कि बिरेन्द्र कुमार उर्फ गणेश पासवान की जाति वास्तव में बंगाली है, न कि दुसाध (अनुसूचित जाति)।