पटना: मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा है कि पद्मश्री कपिलदेव प्रसाद जी को वर्ष 2023 में बावन बूटी कला के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। बावन बूटी मुलतः एक तरह की बुनकर कला है। वे नालन्दा जिले के बसवन बीघा गांव के निवासी थे। उनके निधन से बावन बूटी कला के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है। मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की चिर शान्ति तथा उनके परिजनों एवं प्रशंसकों को दुःख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है।
बुनकरी के दम पर पद्म श्री से हुये सम्मानित
बता दें कि बुनकरी के दम पर देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित नालंदा के कपिलदेव प्रसाद ने दुनिया को अलविदा कह दिया। वह 71 वर्ष के थे। हृदय रोग से पीड़ित थे। पटना के एक निजी अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। वे नालंदा के बसवन बीघा के रहने वाले थे। मौत की खबर मिलते ही पूरे नालंदा में शोक की लहर दौड़ गई। नालंदा सांसद कौशलेंद्र कुमार प्रखंड विकास पदाधिकारी अंजन दत्ता समेत कई पार्टियों के नेता उनके पैतृक गांव पहुंचकर परिजनों से मिल उन्हें सांत्वना दिया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने की थी सम्मानित
नालंदा सांसद कौशलेंद्र कुमार ने कहा कि वर्ष 2023 के अप्रैल महीने में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उन्हें नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन के दरबार हाल में देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया था। कपिलदेव की इस उपलब्धि से बावन बूटी डिजाइन की राष्ट्रव्यापी पहचान और प्रतिष्ठा बढ़ गई थी। बिहार में नालंदा जिला मुख्यालय बिहार शरीफ से सटे पूरब बसवन बिगहा में कपिल देव प्रसाद का जन्म पांच अगस्त 1955 को हुआ था। इनकी माता जी का नाम फुलेश्वरी देवी था।इन्होंने दस साल की अवस्था से ही हैंडलूम की साड़ी में बावन बूटी डालनी शुरू कर दी थी। पांच साल में हुनर में निखार आ गया, जिससे इनके बुनी हुई साड़ियां अधिक पसंद की जाने लगी और इनकी चर्चा बुनकर समाज में होने लगी।