पटना. देश में वन नेशन, वन इलेक्शन की चर्चा गरमाती ही जा रही है। हालांकि कई राजनीतिक दलों ने इसका समर्थन भी किया है। और अब जेडीयू ने भी वन नेशन वन इलेक्शन का समर्थन करते हुए मांग उठाई है, कि देश में वन नेशन वन इलेक्शन हो। इसी कड़ी में जदयू के शिष्टमंडल ने पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति से मुलाकात की है। साथ ही जदयू के वन नेशन वन इलेक्शन के बारे में पार्टी की राय बताई, जिसकी जानकारी जदयू के वरिष्ठ नेता संजय झा ने दी है। संजय ने मीडिया को बताया कि सीएम एवं जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार शुरू से ही ‘एक देश एक चुनाव’ की नीति के समर्थक रहे हैं।
शनिवार को दिल्ली में जदयू संसदीय दल के नेता, सांसद ललन सिंह के साथ पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति से मुलाकात कर वन नेशन वन इलेक्शन के संदर्भ में जनता दल (यूनाइटेड) के नजरिये से संबंधित आधिकारिक ज्ञापन सौंपा। इसमें बताया गया है। बिहार के सीएम श्री नीतीश कुमार और हमारी पार्टी जदयू का मानना है कि सुशासन की संरचना को मजबूत करने की दिशा में ‘एक देश एक चुनाव’ एक महत्वपूर्ण कदम होगा। भारत के विधि आयोग ने निर्वाचन विधियों में सुधार से संबंधित अपनी रिपोर्ट में ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ की सिफारिश की है, जिस पर उच्चस्तरीय समिति विचार कर रही है। जदयू ने इस संदर्भ में देशभर में सीआईआई, फिक्की, एसोचैम सहित विभिन्न औद्योगिक, नागरिक एवं अन्य संगठनों के साथ अब तक हुए विमर्श में उभरी राय पर गंभीरता से विचार किया है।
साथ ही, भारत में एक साथ चुनाव कराने के इतिहास को भी ध्यान में रखा है। वर्ष 1947 में आजादी मिलने के बाद से लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव अधिकतर एक साथ आयोजित हुए थे, लेकिन 1960 के दशक के अंतिम वर्षों से एक साथ चुनाव का सिलसिला विभिन्न कारणों से बाधित हो गया। विधि आयोग की रिपोर्ट और इससे संबंधित तमाम तथ्यों एवं बहसों पर गंभीरता से विचार करते हुए जदयू ने लोकसभा और राज्य विधानमंडल के चुनाव एक साथ कराने, जबकि पंचायतों और नगर पालिकाओं के चुनाव एक साथ कराने, लेकिन संसदीय चुनाव और पंचायती राज के चुनाव अलग-अलग कराने के पक्ष में अपना समर्थन व्यक्त किया है। इससे पहले वर्ष 2018 में भारत के विधि आयोग द्वारा आमंत्रित सुझावों के जवाब में भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू ने लोकसभा तथा विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की नीति को अपना समर्थन दिया था। अब उच्चस्तरीय समिति को सौंपा गया ज्ञापन ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ की नीति को पूर्व में दिये गये समर्थन के ही अनुरूप है।