जहानाबाद के पूर्व सांसद और सीएम नीतीश कुमार के कभी करीबी रहे अरुण कुमार फिर से तीर साधने वाले हैं। पटना में गुरुवार को जदयू दफ्तर में पार्टी की सदस्यता लेने वाले थे। लेकिन, मिलन समारोह को फिलहाल टाल दिया गया है। हालांकि, इसकी वजह अभी सामने नहीं आई है।
सियासी सूत्रों का कहना है कि जदयू के अंदर कई नेताओं की इससे नाराजगी है। वे फिर से पार्टी के अंदर अरुण कुमार के आने से खुश नहीं हैं। इसका विरोध हुआ है। जबकि, दूसरी वजह यह सामने आ रही है कि बिहार बंद के दौरान बड़ी संख्या में कार्यकर्ता नहीं पहुंच पा रहे थे। इस वजह से कार्यक्रम को टाला गया है।
2015 में नीतीश के खिलाफ विवादित बयान दिया था
जदयू की ओर से कोई बयान नहीं आया है। अरुण कुमार ने 2015 में नीतीश कुमार को लेकर विवादित बयान दिया था। उन्होंने विधानसभा चुनाव के दौरान कहा था कि नीतीश कुमार का सीना तोड़ देंगे।
इस मामले में जहानाबाद व्यवहार न्यायालय ने उन्हें तीन साल की सजा सुनाई थी। लेकिन, बाद में एडीजे 3 की कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में पूर्व सांसद अरुण कुमार को बरी कर दिया था।
अरुण सिंह के आने से मजबूती मिल सकती है
अरुण कुमार एक संगठन के साथ राजनीति करते आए हैं। समता पार्टी के ये संस्थापक सदस्यों में से रहे हैं। इनका विशेष प्रभाव गया, अरवल, जहानाबाद और नवादा पर विशेष रूप से प्रभाव पड़ेगा। इनके आने से विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए मजबूत प्रदर्शन कर सकती है।
दो बार सांसद रहे हैं अरुण कुमार
अरुण कुमार दो बार सांसद रहे हैं। पहली बाद जदयू की टिकट पर 1999 में जहानाबाद से जीत हुई थी। इसके बाद 2014 में आरएलएसपी से सांसद चुने गए थे। वहीं, 2024 में बीएसपी से उम्मीदवार बने थे। लेकिन, राजद के सुरेंद्र यादव से हार मिली थी।
दो बार पार्टी बना चुके हैं अरुण कुमार
2013 में अरुण कुमार ने राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का गठन किया था। इसके बाद 2020 विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय सबलोग पार्टी का गठन किया था। लेकिन, 2022 में लोजपा (रामविलास) की पार्टी में विलय कर दिया था।