रणवीर सेना सुप्रीमो रहे बहुचर्चित ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड में एक बार फिर नया मोड़ आ गया है। पटना हाइकोर्ट की ओर से आरा के एमपी-एमएलए कोर्ट की ओर से सीबीआई की पूरक चार्जशीट (आरोप पत्र) खारिज करने संबंधी आदेश पर रोक लगा दी गई है। ब्रह्मेश्वर मुखिया उर्फ ब्रह्मेश्वर सिंह के पुत्र इंदू भूषण की ओर से दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट की ओर से सोमवार को यह आदेश जारी किया गया है। अब इस मामले आगामी 22 जुलाई को सुनवाई होनी है। हाई कोर्ट के इस फैसले से पूर्व एमएलसी हुलास पांडेय सहित अन्य आरोपितों की मुश्किलें फिर बढ़ गयी हैं।
अधिवक्ता माधव राज ने कोर्ट को बताया कि ब्रह्मेश्वर मुखिया के हत्या के बाद आरा नवादा पुलिस थाना में दर्ज प्राथमिकी का अनुसन्धान बिहार पुलिस कर रही थी। पुलिस की ओर से आरोप पत्र दाखिल किया गया। इसी बीच इस मामले को सीबीआई को जांच के लिए सौंप दिया गया। सीबीआई ने जांच कर कई लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। लेकिन निचली अदालत बिहार पुलिस की ओर से दायर आरोप पत्र के आधार पर केस का ट्रायल कर रहा है। उनका कहना था कि जब केस को सीबीआई के हवाले कर दिया गया, तो सीबीआई की ओर से दायर आरोप पत्र के आधार पर ट्रायल प्रक्रिया चलनी चाहिए।
निचली अदालत बिहार पुलिस की ओर से दाखिल आरोप पत्र के आधार पर केस का ट्रायल कर रही है। उन्होंने बिहार पुलिस के बजाये सीबीआई की ओर से दाखिल आरोप पत्र के आधार पर ट्रायल प्रक्रिया चलाने की गुहार आरा सिविल कोर्ट से लगाई। कोर्ट ने उनके अनुरोध को मानने से इंकार करते हुए खारिज कर दिया। निचली अदालत के इस निर्णय को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। कहा गया कि जब सीबीआई को आगे की जांच का जिम्मा सौंपा दिया गया और सीबीआई ने जांच कर पूरक आरोप पत्र दायर कर दिया, तब सीबीआई के आरोप पत्र के आधार पर ट्रायल होनी चाहिए।
उनका यह भी कहना था कि सीबीआई ने भी हाई कोर्ट में अर्जी दायर कर निचली अदालत के निर्णय को चुनौती दी है। कोर्ट ने दोनों केस पर एक साथ सुनवाई करने का आदेश दिया। साथ ही निचली अदालत में चल रहे ट्रायल प्रक्रिया पर रोक लगा दी। 22 जुलाई, 2024 को इस मामले पर सुनवाई होगी।
दरअसल, 1 जून 2012 को आरा के कतीरा में ब्रह्मेश्वर मुखिया की उनके घर के सामने गोली मार हत्या कर दी गई थी। उनकी हत्या के बाद उस समय पूरे बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया था। हत्या के बाद मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था। लेकिन पुलिस के हत्याकांड में शामिल लोगों का पता नहीं चल पाया था।