एक जुलाई से 14 जिलों के सवा करोड़ गाड़ियों के कुंडली को खंगाला जाएगा। किसी भी गाड़ी के इतिहास का अगर पता करना होगा तो एक क्लिक पर सारी जानकारी मिल जाएगी। 30 जून के बाद सभी जिले को 3 से 5 MVI और 3 से 8 मोबाइल दारोगा मिल जाएंगे। प्रत्येक जिले में अतिरिक्त एमवीआई की तैनाती होने के बाद प्रदूषण में कंट्रोल, राजस्व में इजाफा, ओवरलोडिंग, फर्जीवाड़ा, शराब तस्करी समेत कई अन्य तरह के गैरकानूनी कार्यों में सीधे तौर पर तुरंत लगाम लग जाएगी।
अभी विशेष काम पदाधिकारी परिवहन विभाग, पटना के सौजन्य से चल रहे दूसरे चरण के 2 सप्ताह के ट्रेनिंग के लिए सभी एमवीआई और मोबाइल दारोगा को भेजा गया है। पूरे बिहार में प्रत्येक माह 10 लाख छोटी-बड़ी गाड़ियों की बिक्री होती है। लेकिन इनमें से 60 फीसदी की संख्या में गाड़ी की बिक्री भागलपुर, कोसी-सीमांचल और बेगूसराय जिले में होती है।
पटना के बाद सीमांचल के पूर्णिया में चार चक्का गाड़ियों के शोरूम अधिक हैं। इसका कारण यह भी है कि पश्चिम बंगाल और पड़ोसी देश नेपाल के लोग भी पूर्णिया से ही गाड़ी खरीदकर जाते हैं। हर दिन यातायात और स्थानीय पुलिस द्वारा सिर्फ हेलमेट का ही फाइन काटकर मामले को रफा-दफा कर दिया जाता है। एक आंकड़े के अनुसार सिर्फ 13 जिलों में 5 लाख की संख्या में ऐसी गाड़ी हैं, जिनके कागजात दुरुस्त नहीं हैं। 90 फीसदी गाड़ी का प्रदूषण प्रमाणपत्र फेल रहता है। प्रदूषण को लेकर 10 हजार रुपए तक फाइन का प्रावधान है। हजारों की संख्या में गाड़ियों के एक भी कागज ऑनर के पास उपलब्ध नहीं है। इस तरह के तमाम मामलों को लेकर बड़ी कार्रवाई करने की तैयारी में परिवहन विभाग की टीम के सदस्य लगे हुए हैं।
ग्रामीण इलाकों में इसकी स्थिति और भी बदतर है। एक बार जो गाड़ी निकालकर जाते हैं। फिर दोबारा कभी नहीं आते हैं। पूर्णिया में मरंगा के एक शोरूम मालिक ने बताया कि उनके शोरूम से सैकड़ों की संख्या में गाड़ी लेकर जाने वाले लोग कभी भी वापस नहीं आते हैं। उनकी गाड़ियों में सिर्फ रजिस्ट्रेशन ही है।
भागलपुर में 4, पूर्णिया में 3, कटिहार में 2, मुंगेर में 4, जमुई में 2, बांका में 5, किशनगंज में 2, लखीसराय में 2, अररिया में 3, बेगूसराय में 4, खगड़िया में 3, सहरसा में 3, सुपौल में 2 और मधेपुरा जिले में 2 एमवीआई की तैनाती की गई है। इसके अलावा सभी जिले में अतिरिक्त मोबाइल दारोगा की भी तैनाती की गई है। अमूमन सभी जिले में 3 से 8 की संख्या में मोबाइल दारोगा की तैनाती की गई है। जरूरत के अनुसार एमवीआई की संख्या को जिले से घटाया या बढ़ाया भी जा सकता है।