मुंगेर: जिले में इन दिनों सुरक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे चल रहा है। पुलिस और जिला प्रशासन की उदासीनता के कारण शहर से तीसरी नजर का पहरा हट चुका है। जन सहयोग से सुरक्षा के लिये शहर में लगे 32 सीसीटीवी कैमरा में सभी बंद पड़ा हुआ है। सवाल यह उठता है, कि जब तीसरी आंख ही बंद है तो अपराध पर अंकुश कैसे लगेगा। जानकारी के अनुसार मुंगेर शहर में लूट, अपहरण, हत्या जैसी वारदातों पर अंकुश लगाने के लिए 7 वर्ष पूर्व जन सहयोग से कोतवाली थाना क्षेत्र समेत शहर में कुल विभिन्न चौक-चौराहों पर 32 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे। बता दें कि इन सभी सीसीटीवी कैमरे का कनेक्शन एसडीपीओ कार्यालय में बने जिला नियंत्रण में दिया गया था।
देखरेख व राशि के अभाव में सीसीटीवी कैमरा हुआ खराब
बता दें कि इसके लिये बाकायदा नियंत्रण कक्ष में पुलिस अधिकारी और दंडाधिकारी की नियुक्ति तक की गई थी। जिससे किसी भी घटना के दौरान तुरंत एक्शन लिया जा सके। परंतु देखरेख व मरम्मत सही समय पर नहीं होने चलते और राशि के अभाव में इन सीसीटीवी कैमरों को ठीक नही करवाया गया। जिस कारण एक एक करके सभी कैमरा खराब होता गया और आज हाल यह है, कि अब शहर के सभी सीसीटीवी कैमरा खराब हो चुका है। इसके बावजूद अधिकारीयों की नजर इस पर नहीं है।
सुरक्षा प्रदान करने वाला नियंत्रण कक्ष आज खुद है असुरक्षित
बताया जाता है कि कैमरा तो खताब है ही परंतु सीसीटीवी कैमरा नियंत्रण कक्ष में लगे मशीनों की स्थिति भी काफी दयनीय हो चुकी है। बता दें कि नियंत्रण कक्ष में लगा मॉनिटर बिलकुल बंद हो चुका है। तो टेलीफोन बिल न जमा करने के कारण फोन वन वे हो गया है। नियंत्रण कक्ष में तैनात पुलिस अधिकारी ने बताया कि शहर में लगे 32 सीसीटीवी में से सभी कैमरा खराब हो चुके है। नियंत्रण कक्ष की हालत भी काफी खराब है। ऐसे में शहर को सुरक्षा प्रदान करने वाला नियंत्रण कक्ष आज खुद असुरक्षित है।