बिहार से बाहर जब आप होते है और दशहरे के बाद घर लौटने का प्रयास करते है तब आस-पास के लोग का सवाल होता है,छठ पूजा में जा रहे हो क्या? और उसके बाद हर बिहारी के कानों में छठ पूजा के गीतों के धुन गुंजने लगता है। सहसा माथे पे दौरा लिए लोग और कमर तक पानी में खड़े हो कर हाथो में सूप ले कर भगवान सूर्य देव को अर्ध्य देती व्रतियों की तस्वीरें आंखों के सामने घुमने लगता है। बिहार के लोगों के लिए सबसे पवन-पावनी त्योहार है छठ पूजा। लेकिन क्या आप जानते है छठ पूजा क्यों किया जाता है? छठी मईया कौन है? छठ पूजा कि शुरुआत कैसे हुई। व्रतीया जब अर्ध देती है तो उनके मन में क्या चल रहा होता है।
आप में से ज्यादातर लोगों का जवाब होगा नहीं, तो चलिए में बता देती हूं। छठ पूजा को लेकर ऐसी मान्यता है तकरीबन 72घंटे का उपवास करते हुए हाथों में सूप और सूप पर फल, फूल, ठेकुआ, पूरी लेकर सूर्य देव और छठी मईया की आराधना करने से मन की सारी इच्छाएं पूर्ण हो जाती है, सारा कष्ट दूर हो जाता है।
⦁ शास्त्रों के अनुसार माता षष्ठी देवी को भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री माना गया है। उन्हें मां कात्यायनी भी कहा गया है जिनकी पूजा नवरात्रि में षष्ठी तिथि के दिन होती है।वहीं षष्ठी मईया को सूर्य देव की बहन कहा जाता है।छठ पर्व को सर्वप्रथम कर्ण ने सूर्य की पूजा करके शुरू की थी। भगवान कर्ण सूर्य के परम भक्त थे। सूर्यपुत्र कर्ण, प्रतिदिन घंटों भर कमर तक पानी में खड़े हो कर सूर्यदेव को अर्घ्य देते।
⦁ एक और मान्यता के अनुसार लंका विजय के बाद राम राज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को भगवान राम और माता सीता ने उपवास किया और सूर्यदेव की आराधना की। सूर्योदय के समय पुनः अनुष्ठान कर सूर्य देव से आशीर्वाद प्राप्त किया था।
⦁ कुछ कथाओं में द्रोपदी द्वारा भी सूर्य की पूजा करने का उल्लेख है। वे अपने-परिजनों के उत्तम स्वास्थ्य की कामना और लम्बी आयु के लिए सूर्य की नियमित पुजा करती थी।
⦁ पुराणों से पौराणिक कथा है कि पांचों पाण्डव जब सारा राज पाठ हार गये, तब भगवान श्रीकृष्ण ने द्रोपदी को छठ पूजा करने की सलाह दी और द्रोपदी पुरे नियम पूर्वक छठ की और वापस उन्होंने राज्य सत्ता पाया।
⦁ एक और मान्यता के अनुसार, राजा प्रियवद को कोई संतान नहीं थी तब महर्षि कश्यप ने पुत्रेष्टि यज्ञ कराकर उनकी पत्नी मालिनी को यज्ञाहुती के लिए बनायी गई खीर दी। उसके प्रभाव से उन्हें पुत्र हुआ, परंतु वह मृत पैदा हुआ। प्रियवद पुत्र को लेकर श्मशान गए और पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगे। उसी वक्त ब्रह्मा की मानस कन्या देवसेना प्रगट हुई और कहा कि सृष्टि की मूल प्रवृति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण मैं षष्ठी कहलाती हूं। राजन आप मेरी पूजा करे तथा लोगों को पूजा के प्रति प्रेरित करे। राजा, पुत्र की इच्छा से देवी षष्ठी का व्रत किया और उन्हें पुत्र रतन की प्राप्ति हुई। यह पूजा कार्तिक शुल्क षष्ठी को हुई थी।
⦁ एक और कथा के अनुसार, बाल्मिकी और आनंद रामायण के अनुसार ऐतिहासिक नगरी मुंगेर में माता सीता छः दिन तक रह कर छठ पूजा की थी।
जब भगवान राम 14 वर्ष बनवास के बाद अयोध्या लौटे थे तो रावण वध के पाप से मुक्ति के लिए ऋषि–मुनियों के कहने पर राजा राम सूर्य यज्ञ करने का फैसला किया।
इन कुछ पुराणिक कथाओं से सूर्य देव और छठ मईया की महिमा का पता चलता है।
_शचि श्यामली सिंह