बिहार सहित पूरे भारत में अनंत चतुर्दशी का पर्व श्रद्धा और भक्ति के साथ आज मनाया जा रहा है । इस दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा करते हैं। साथ ही गणेश चतुर्थी के दस दिवसीय उत्सव का आज ही समापन होता है। गजानन का आज विसर्जन किया जाता है।
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अनंत चतुर्दशी के दिन पूजा के बाद बाजू में बांधे जाने वाले अनंत सूत्र में 14 गांठ होती हैं। आइए जानते हैं अनंत चतुर्दशी की पूजा कैसे करें…
अनंत चतुर्दशी की पूजा विधि (Anant Chaturdashi 2025 Puja Rituals)
- सुबह जल्दी उठें और स्नान करके पीले कपड़े पहनें।
- इसके बाद भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा का संकल्प लें।
- पूजा के लिए एक चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।
- इसके बाद प्रतिमा के पास एक कलश रखें, जिस पर स्वास्तिक बनाएं।
- पूजा में अनंत सूत्र रखें। यह धागा भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप का प्रतीक है।
- भगवान विष्णु को पीले फूल, तुलसी दल, पीला चंदन, पीले वस्त्र और फल, मिठाई आदि अर्पित करें।
अनंत चतुर्दशी पर क्यों बांधा जाता है 14 गांठ वाला अनंत सूत्र?
- हिन्दू धर्म शास्त्रों के अुनसार ये चौदह गांठों वाला अनंत सूत्र 14 लोकों ( भूर्लोक, भुवर्लोक, स्वर्लोक, महर्लोक, जनलोक, तपोलोक, ब्रह्मलोक, अतल, वितल, सतल, रसातल, तलातल, महातल और पाताल लोक) का प्रतीक होते हैं। इसलिए इसे बांधना शुभ माना जाता है।
- इसके अलावा अनंत चतुर्दशी के दिन बांधें जाने वाले रक्षासूत्र की 14 गांठे भगवान विष्णु के 14 रूपों (अनंत, ऋषिकेश, पद्मनाभ, माधव, वैकुण्ठ, श्रीधर, त्रिविक्रम, मधुसूदन, वामन, केशव, नारायण, दामोदर और गोविन्द) का प्रतीक भी मानी जाती है।
- हिन्दू मान्यताओं के अनुसार अनंत चतुर्दशी के दिन पूजा के बाद इस धागे को बाजू में बांधने से व्यक्ति को भय से मुक्ति मिलती है, और पाप नष्ट होते हैं। जो व्यक्ति 14 वर्ष तक अनंत चतुर्दशी का व्रत करता है, और चौदह गांठ वाले इस अनंत सूत्र को बांधता है। उसे भगवान विष्णु की कृपा से बैकुंठ की प्राप्ति होती है।