झारखंड: माननीय उच्च न्यायालय में पासवा द्वारा निजी विद्यालयों के हित में किए गए रिट याचिका पर माननीय उच्च न्यायालय ने अगली तिथि तक सुनवाई स्थगित की हो गई है। अब इसकी अगली तिथि में सुनवाई होगी। प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने संवाददाताओं को बताया कि झारखंड के छोटे-छोटे निजी विद्यालयों पर इस तरह से कठिन शर्ते आरोपित करना झारखंड के शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त करने जैसा है। हम लोग माननीय उच्च न्यायालय से यह उम्मीद लगाए हैं कि निश्चित रूप से इस विकट परिस्थिति पर संज्ञान लेते हुए निजी विद्यालयों को निश्चित रूप से राहत प्रदान करेगी और सरकारी विद्यालयों और निजी विद्यार्थियों दोनों के लिए एक ही मान्यता के आधार पर चलने का प्रावधान करेगी। आलोक दुबे ने बताया कि पासवा अपने पूरे टीम के साथ सजग प्रहरी की भूमिका में निजी विद्यालयों के हित में खड़ी है और झारखंड के शिक्षण व्यवस्था को ध्वस्त होने से बचने के लिए कृतसंकल्पित है।
पिछले 3 सालों से लगातार सरकार से प्रत्येक मंच पर निजी विद्यालय की राखी जा रही थी बात
उन्होंने यह स्पष्ट किया कि हम लोग पिछले 3 सालों से लगातार सरकार से प्रत्येक मंच पर निजी विद्यालय की बातों को रख रहे हैं और सरकार हमें आश्वासन भी दे रही है,किंतु यह बड़ा ही खेद का विषय है कि सरकार ने भी अभी तक निजी विद्यालयों के हित में कोई निर्णय नहीं लिया है हमें शिवाय आश्वासन के आज तक कुछ नहीं मिला। उन्होंने यह स्पष्ट कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव में झारखंड के निजी विद्यालय निश्चित रूप से उस राजनीतिक दल के साथ खड़े होंगे जो निजी विद्यालयों के हित में कार्य करेगी। उन्होंने सरकार से और सरकार के प्रतिनिधियों का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि बहुत जल्द हम लोग खेल गांव रांची में झारखंड के प्रत्येक जिले के प्रत्येक प्रखंड के निजी विद्यालयों के हजारों शिक्षक और निजी विद्यालयों में पढ़ने वाले हजारों अभिभावकों का एक विशाल सम्मेलन कर आगामी लोकसभा चुनाव में निजी विद्यालयों की क्या रणनीति हो इस पर चर्चा करेंगे।
निजी विद्यालयों के हित में कार्य को ले शिक्षक व लाखों अभिभावक राजनीतिक दल के साथ खड़े
उन्होंने स्पष्ट किया कि झारखंड में लगभग 40000 से अधिक निजी विद्यालय और लाखों शिक्षक व लाखों अभिभावक निश्चित रूप से उस राजनीतिक दल के साथ खड़े रहेंगे जो निजी विद्यालयों के हित में कार्य करेगा। पासवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद शमायल अहमद भी झारखंड के निजी विद्यालयों की समस्याओं पर नजर बनाए हुए हैं। आलोक दूबे ने निजी विद्यालयों को आश्वस्त करते हुए कहा कि निजी विद्यालयों को घबराने की आवश्यकता नहीं है,हम लोग सजग प्रहरी के रूप में उनके देखभाल के लिए और झारखंड की शिक्षा व्यवस्था को बचाने के लिए तैयार खडे है। निश्चित रूप से हम लोगों की मांगों पर या तो संज्ञान लेकर सरकार ठोस कारर्वाई करे या फिर झारखंड के हजारों निजी विद्यालय,लाखों शिक्षक और अभिभावक आने वाले समय में झारखंड की राजनीति की दिशा तय करेंगे। जिस प्रकार से पिछली झारखंड की सरकार ने निजी विद्यालयों पर प्रहार किया उसका खाममियाजा सरकार को भुगतना पड़ा,हम उम्मीद करते हैं कि वर्तमान सरकार निजी विद्यालयों के जो पूरे देश में एक आरटीई कानून है उसके संदर्भ में पिछली सरकार के निर्णय को निरस्त कर संबद्धता का मार्ग प्रशस्त करेगी।