छपरा: आमतौर पर निजी विद्यालयों में शुल्क के नाम पर शोषण की कई कहानियां आपने देखी और सुनी होगी, तो वही शिक्षण संस्थानों को रोजगार का साधन मानने और बनाने वालों को सामाजिक बदलाव के ओर प्रेरित कर रहा है। जहां बच्चे पढ़ाई के साथ राष्ट्रीय स्तर के खेल का प्रतिनिधित्व करती है। इन दिनों एक बार फिर इस विद्यालय में लघु भारत का नजारा देखने को मिल रहा है। जहां देश के 25 राज्य के 500 से अधिक महिला खिलाड़ी हैंडबॉल फैडरेशन द्वारा आयोजित राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा ले रही है। सारण जिले के बनियापुर प्रखण्ड के सुदूर ग्रामीण इलाके में चलने वाला निजी विद्यालय सन्त जलेश्वर एकेडमी, जहां बेटी पढ़ाओ बेटी बचाव को एक अभियान के रूप चला रहे है एमएलसी ई. सच्चिदानन्द राय विद्यालय के स्थापना काल से ही बेटियों को नामंकन और विद्यालय के शुल्क सभी निःशुल्क है और यही कारण है, कि 10-10 किमी दूर से बेटियां यहां पढ़ने आ रही है, और अपने जीवन को सवार रही है।
विद्यालय में लड़कियों को मिलता है, निःशुल्क शिक्षा
बताया जाता है कि यहां पढ़ाई के साथ खेल को भी ज्यादा प्रोत्साहित किया जाता है। जिससे यहां की छात्राएं हैंडबॉल के राष्ट्रीय प्रतियोगिता में अपनी मजबूत दावेदारी दर्ज कराती है। विद्यालय में 40 से ज्यादा कमरे में प्रशिक्षित शिक्षक, अत्याधुनिक व्यवस्था, बिजली, पानी, सुंदर परिसर देख आप यह मत समझे कि विद्यालय में पढ़ाई महंगी होगी, बल्कि गुणवता पूर्ण शिक्षा वर्ग नर्सरी से इंटरमेडियट तक की शिक्षा की बेहतर व्यवस्था लड़कियों के लिए निःशुल्क है। और यही कारण है कि 1000 छात्र-छात्राओं में 700 से अधिक संख्या यहाँ लड़कियों की है। वर्ष 2011 में स्थापित इस विद्यालय के संस्थापक एमएलसी ई सचिदानंद राय और इस विद्यालय के स्थापना काल से ही यह विधालय में लड़कियों की शिक्षा निःशुल्क है। ई राय बताते है कि लड़कियों के साथ आज भी भेदभाव अपनाया जाता है, उनके पढ़ाई के खर्च को लोग व्यर्थ समंझ कर उन्हें सरकारी विधालय में ही पढ़ना चाहते है जिससे उनका विकास नहीं हो पाता है।
लड़कियों के शिक्षित होने पर दो परिवार को मिलेगा लाभ
वही उन्होंने कहा कि लड़के पढ़ कर स्वयं शिक्षित होकर गांव का भला नही कर पाते जबकि एक लड़की के शिक्षित होने पर दो परिवार को इसका लाभ मिलता है। इसलिए लड़कियों को बेहतर शिक्षा समाज के बदलाव के लिए आवश्यक है। इसी सोच से उन्होंने इस विद्यालय में लड़कियों की शिक्षा निःशुल्क की है। लड़कियों को मात्र ट्रांसपोर्ट सुबिधा के लिए ही पैसे देने होते है। विधालय के सभी शुल्क की भरपाई वे स्वयं करते है, इसके लिए छात्राओं से कोई शुल्क नहीं लिया जाता और पिछले 13 वर्षों से यह विद्यालय में लगातार शिक्षण कार्य निर्वाध रूप चल रहा है। बताया जाता है की प्रबन्धन द्वारा ऐसे निर्णय से आम लोगो के साथ छात्राएँ भी खुश है, क्योंकि उन्हें निःशुल्क गुणवता पूर्ण शिक्षा उपलब्ध हो रही है। ये विद्यालय नजीर है वैसे विद्यालय और नेताओं के लिए जो मंच से बेटी बचाव अभियान की अलख जगा रहे है।