पटना: राज्यसभा सांसद सतीश चंद्र दुबे को पहली बार मोदी मंत्रिमंडल जगह मिली है। 2 मई 1975 में स्वर्गीय पंडित इंद्रजीत दुबे और स्वर्गीय पशुपति देवी के घर जन्मे सतीश चंद्र दुबे अपनी राजनीतिक कैरियर की शुरुआत बेतिया जेल से की थी। पहली बार चनपटिया विधानसभा से उन्होंने शिवसेना के टिकट पर 2000 में चुनाव लड़ा थे। लेकिन 1062 वोट से उन्हें भाजपा के कृष्णकुमार मिश्र उर्फ लल्लू मिश्र ने पराजित किया था। वहीं जेल से छुटने के बाद सतीश ने भाजपा का दामन थाम लिया और फरवरी 2005 में भाजप के टिकट पर चनपटिया विधानसभा से चुनाव 16000 वोटो से कांग्रेस के भरत राय को पराजित कर जीत दर्ज किया।
लेकिन सरकार नहीं बनने के कारण फिर नवम्बर 2005 में चुनाव हुआ। जिसमें फिर से सतीश ने भाजपा के टिकट पर कांग्रेस के बृजमोहन शर्मा को 22 हजार वोटों से शिकत दी। वहीं 2010 में नरकटियागंज विधानसभा से सतीश ने कांग्रेस के आलोक प्रसाद वर्मा को पराजित कर विधायक बने। 2014 में पहली बार सतीश चंद्र दुबे ने वाल्मीकि नगर लोकसभा क्षेत्र से जदयू प्रत्याशी बैधनाथ प्रसाद महतो को तीन लाख वोटो से पराजित कर सांसद बने। वही 2019 में गठबंधन के कारण बाल्मीकि नगर जादू के खाते में चला गया। जिस कारण सतीश चंद्र दुबे को टिकट नहीं मिली। जिसके बाद उन्हें राज्यसभा सांसद बनाया गया।
सतीश चंद्र दुबे तीन भाई और एक बहन में सबसे छोटे हैं। सतीश से बड़े अशोक दुबे, प्रदीप दुबे, और मीना दुबे है। सतीश के पिताजी नरकटियागंज चीनी मिल में फोरमैन का काम करते थे। वही माता ग्रहणी थी। सतीश चंद दुबे की शादी विधायक बनने के बाद 2007 में पूर्वी चंपारण के ईजरा नवादा गांव निवासी जीवानंद उपाध्याय के छोटी बेटी अलका दुबे से हुई है। अलका प्रोफेसर है। वो बगहा के बनकटवा गांव स्थित पंडित उमाशंकर तिवारी महिला कॉलेज में पढाती है। सतीश चंद्र दुबे को दो बेटी और एक बेटा है। बड़ी बेटी 10 साल की है जो पटना सेंतजोसेफ स्कूल में पढ़ती है। वही एक साल का बेटा और एक साल की बेटी है। दोनों जुड़वां हैं।सतीश चंद्र दुबे इंटर तक की पढ़ाई किए हुए हैं उनकी प्राथमिक शिक्षा गांव में ही हुआ है। वही इंटर की पढ़ाई नरकटियागंज टीपी वर्मा कॉलेज से किए हैं। जबकि मैट्रिक की पढ़ाई नरकटियागंज चीनी मिल स्थित हाई स्कूल से किए हैं।