पटना। मंगलवार को संसद में देश का आम बजट 2024 पेश किया गया, फिलहाल अब इस पर सियासत शुरू हो गई है। एक तरफ जहां सत्ता के लोग इस बजट में बिहार को मिली सौगातों को अच्छा बताते हुए खुशी मना रहे हैं, वहीं दूसरी ओर विपक्षी दल इसे बिहार की अनदेखी का आरोप लगा रहे हैं। बजट पेश होने के बाद अब लालू प्रसाद हों या तेजस्वी यादव सब मोदी सरकार पर हमलावर हैं। इतना ही नहीं रोहिणी आचार्य ने तो इस बजट को ऊंट के मुंह में जीरा के समान बताया है।
‘आम आदमी के दिल पर खंजर है बजट’
राजद सुप्रीमो लालू यादव ने बजट को लेकर कहा कि ‘ये बजट एक घिसा-पिटा हट है, जुमलों की रट है। गरीब और किसान के सपने कर रहा बंजर है ये बजट, आम आदमी के दिल पर खंजर है ये बजट। वहीं तेजस्वी का कहना है कि बजट ने बिहार के लोगों को फिर निराश किया है। बिहार को प्रगति पथ पर ले जाने के लिए एक रिवाइवल प्लान की जरूरत थी और जिसके लिए विशेष राज्य के दर्जे के साथ विशेष पैकेज की सख़्त जरूरत है। रूटीन आवंटन तथा पूर्व स्वीकृत, निर्धारित व आवंटित योजनाओं को नई सौग़ात बताने वाले बिहार का अपमान ना करें। पलायन रोकने, प्रदेश का पिछड़ापन हटाने तथा उद्योग धंधों के साथ साथ युवाओं के बेहतर भविष्य के लिए हम विशेष राज्य के दर्जे की मांग से इंच भर भी पीछे नहीं हटेंगे।
बजट नहीं, ऊँट के मुँह में जीरा
इधर रोहिणी आचार्य ने बजट को भरमाने वाला और बिहार की उपेक्षा बताया। उन्होंने कहा कि ‘आजादी के बाद से देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी का सृजन करने वाली सरकार के द्वारा आज प्रस्तुत बजट वस्तुतः भरमाने वाला है। पुराने प्रावधानों को ही ऐसे प्रस्तुत किया गया है जिससे आम आवाम को लगे कि कोई बड़ी छूट व राहत दी गई है और चरमराती अर्थव्यवस्था को सुधारने के मकसद से बड़े बदलाव किए गए हैं।
5 राज्यों में नए किसान क्रेडिट कार्ड लाने की बात तो की गयी है , मगर एमएसपी को कानूनी मान्यता प्रदान करने के मुद्दे पर बजट मौन है। महंगाई नियंत्रित करने व रोजगार सृजन के मुद्दे पर भी बजट में कोई स्पष्टता नहीं है, रोजगार गारंटी जैसे अहम मुद्दे का भी कोई जिक्र नहीं है। मोबाइल फोन सस्ता किए जाने का प्रस्ताव तो है, मगर घरेलू गैस सिलेंडर, रोजमर्रा इस्तेमाल की वस्तुएं, खाद्यान , पेट्रोल-डीजल की कीमतें वाजिब तौर पर कम करने की बात नहीं है।’
रोहिणी आचार्य ने ये भी कहा कि ‘मध्यम आय वर्ग , निम्न आय वर्ग और अति – निम्न आय वर्ग ( गरीब ) की आमदनी में इजाफे के उपाय भी बजट से गौण हैं। विशेष राज्य के दर्जे की मांग कर रहे बिहार के लिए महज 41 हजार करोड़ की आर्थिक मदद का प्रावधान किया गया है, ये सीधे तौर पर बिहार के हितों की अनदेखी है। “ऊँट के मुँह में जीरे का फोरन ” कैसी बात है। सरकार की पसंदीदा निजी कंस्ट्रक्शन व् सीमेंट कंपनियों को फायदा पहुँचाने के उद्देश्य से बिहार में हाईवेज-एक्सप्रेसवेज के निर्माण के लिए 26,000 करोड़ रूपए का बजटीय प्रावधान किया गया है , मगर बिहार की बदहाल ग्रामीण सडकों के विकास के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं है।’