बिहार के रोहतास के मझुई गांव निवासी IAS अधिकारी मनोज कुमार सिंह को उत्तर प्रदेश का मुख्य सचिव बनाए जाने पर उनके पैतृक गांव मझुई में हर्ष का माहौल है। ग्रामीण गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। उनके पैतृक घर में परिवार का कोई सदस्य नहीं रहता। यहां ताला लटका है। ग्रामीणों ने बताया कि मनोज और उनकी आइएएस पत्नी रश्मि सिंह के कारण इस गांव की पहचान देशभर में है।
स्थानीय मुखिया सत्येन्द्र सिंह बताते हैं कि 1988 बैच के आइएएस अधिकारी मनोज कुमार सिंह की गिनती देश के कर्तव्यनिष्ठ व तेजतर्रार अधिकारियों में होती है। उनके पिता डॉ. राधिका रमण सिंह रांची एचईसी अस्पताल के प्रसिद्ध शिशु रोग विशेषज्ञ थे। मनोज की प्रारंभिक शिक्षा रांची के एचईसी केंद्रीय विद्यालय से ही हुई थी। उनके भाई अरविंद सिंह मां के साथ सपरिवार रांची में रहते हैं। वह रांची हाईकोर्ट में अधिवक्ता है। वही गांव की खेतीबाड़ी देखते हैं, वर्ष में एक या दो बार आते हैं।
ग्रामीण भाजपा के मीडिया प्रभारी ई. पुलकित सिंह बताते हैं कि मनोज सिंह मूल रूप से पड़ोस के नाद गांव के हैं। छावनी मंझुई में है, इस कारण घर और खेती मंझुई में ही है। ग्रामीण डॉ.ललिता यादव, गौतम सिंह सहित अन्य लोगों ने खुशी प्रकट करते हुए कहा कि मनोज सिंह ने पूरे बिहार और उत्तर प्रदेश का नाम रोशन किया है।
मनोज की पत्नी डॉ.रश्मि सिंह 1989 बैच की आइएएस अधिकारी हैं। श्रीनगर में प्रिंसिपल रेजिडेंट कमिश्नर हैं। रश्मि पूर्व सांसद और साहित्यकार शंकर दयाल सिंह की पुत्री हैं। वे 1971 में चतरा से सांसद चुने गए थे। 1990 में तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने उन्हें जनता दल से राज्यसभा सदस्य बनाया था। शंकर दयाल सिंह के पिता कामता प्रसाद सिंह ‘काम’ भी साहित्यकार थे।
उन्होंने पटना में पारिजात प्रकाशन की स्थापना की थी। उनके बड़े पुत्र रंजन कुमार सिंह प्रकाशन का संभाल रहे हैं। छोटे पुत्र राजेश कुमार सिंह भी आइएएस थे। वे पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव के सचिव थे, उसी दौरान वीआरएस ले लिया था।